देवेन्द्र सिंह जी - लेखक |
आर०सी०मजुमदार और आर०डी० पुश्लकर की पुस्तक द हिस्ट्री एंड कल्चर आफ इंडियन पीपुल भाग
दो के अनुसार यहाँ जो आर्य सबसे पहले वे चेदि थे। चेदि राज बहुत पुराना कहा जाता है।
इनके दो जगहों पर जाने की बात कही जाती है। एक दल नेपाल गया तथा दूसरा वत्स राज और
कुरु राज के मध्य यमुना के किनारे (आधुनिक बुंदेलखंड) में आया। शुरू में ये आर्य यमुना
और केन नदियों के मध्य में बसे बाद में नर्मदा तक फैले। इनकी राजधानी शुक्तमती थी।
इतिहासकारों के अनुसार शुक्तमती आज का सागर (म०प्र०) है, लेकिन कुछ इतिहासकारों के
अनुसार चेदियों की राजधानी त्रिपुरी में थी। बौद्ध ग्रन्थ Anguttara
Nikaya में दस जनपदों
में चेदि महाजनपद का उल्लेख मिलता है। Dr Binod Bihari Satpathi ने अपने ग्रन्थ Indian
Histography के पेज ५६ में लिखा कि शिव जातक के अनुसार चेदि महाजनपद
की राजधानी Arithapura में थी। यह कहाँ है मुझको अनुमान नहीं
है। कुछ समय चेदि राज को कुरु वंश के वसु ने जीत कर चेदि राज का अंत कर दिया।
इसके बाद पौराणिक परंपरा के अनुसार मनु के पौत्र चन्द्र
वंश के संस्थापक एल जो सूर्य वंश के इक्ष्वाकु का समकालीन था के गंगा, यमुना मालवा और पूर्वी राजस्थान पर
अधिकार करने का विवरण मिलता है। अतः अपना जालौन जिला भी उसके राज के अंतर्गत आ गया।
एल के पुत्र ययाति हुए वे भी यहाँ अधिकार किए रहे। राज के बटवारे में ययाति के बड़े
पुत्र यदु को चम्बल, बेतवा, केन नदियों
वाला भाग मिला, इससे कहा जा सकता है कि जालौन का क्षेत्र भी यदु के अधिकार में रहा
होगा। यदु के वंशज यदुवंशी कहलाए। कुछ समय बाद चन्द्रवंश की मुख्य शाखा से उत्पन्न
हैहयों के उदय से यादव वंश का पराभव हो गया, लेकिन कुछ पीढ़ी बाद अयोध्या के राजा सगर
द्वारा हैहयों का पराभव हुआ। इसका फायदा विदर्भ के यादवों ने उठाया और उत्तर भारत के
भू-भाग पर अधिकार कर लिया। कुछ समय बाद कुरु की पांचवी पीढ़ी में वसु ने यादवों के चेदि
राज पर अधिकार कर लिया। प्रो०अर्जुन चौबे काश्यप ने आदि भारत में लिखा कि वसु ने चेदोपरिचर (चेदियों के ऊपर चलने वाला) की
उपाधि धारण की। जालौन का क्षेत्र उतराधिकार में वसु के पुत्र प्रत्यग्रह को मिला। प्रत्यग्रह
से यह शाखा चलती रही। चेदियों का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। वसु चेदि को इंद्र का
मित्र बतलाया गया है। उसके की पुत्रों के नाम मिलते हैं जो विभिन्न भागों के शासक थे।
महाभारत में भी कई प्रमुख चेदियों का उल्लेख मिलता है।
आज इतना ही आगे का हाल फिर अगली पोस्ट में।
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© देवेन्द्र सिंह (लेखक)
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