देवेन्द्र सिंह जी - लेखक |
कल
की पोस्ट अमीर खां के सलैया पहुँचने पर समाप्त की थी। उससे आगे का इतिहास यह है कि
सलैया और अमीटा के जमीदारों ने अपने पांच सौ आदमी अमीर खां को कंपनी की फ़ौज से लड़ने
के लिए दिए। कंपनी की फ़ौज कोंच पहुँचती उससे पहले ही अमीर खां ने रात्रि में ही अपनी
फ़ौज का एक भाग खकसीस के जंगल में और एक भाग नदीगांव की तरफ भेज कर मोर्चाबंदी शुरू
कर दी। कंपनी की फ़ौज उत्तर की तरफ से आ रही थी अत: अपनी दाहिनी तरफ स्थिति अमीर खां
की फ़ौज के बारे कुछ भी पता नही था। अब हुआ यह कि कंपनी की फ़ौज बिना किसी प्रतिरोध के
कोंच आ गई। यहाँ पहुचने पर अंग्रेजी फ़ौज को अमीर खां के सलैया में होने की सुचना उनके
गुप्तचरों ने दी। अंग्रेजी फ़ौज ने कोंच के बाजार से 100 बैलगाड़ियों को अपने कब्जे में ले लिया और सलैया पर चढ़ाई की तैयारियां पूरी
की।
अगले
दिन कंपनी की फ़ौज ने सलैया की गढ़ी पर आक्रमण किया। इस युद्ध का विवरण बड़े विस्तार में
किया गया है मगर मै यहाँ पर इसको संक्षेप में ही लिखूंगा। कंपनी की फ़ौज ने सलैया की
गढ़ी पर तोपों से गोलाबारी शुरू की। इधर अमीर खां की सेना अपने मोर्चे से धीरे धीरे
बिना शोर मचाए चल कर चारो तरफ से घेरा कस रही थी। अमीर खां के अपनी फ़ौज को सख्त आदेश
थे की जब तक उसका इशारा न हो एक भी गोली नही चलेगी। कंपनी की फ़ौज को घेर लेने के बाद
भी अमीर खां ने 12 बजे तक कोई भी हलचल
नहीं की। जब सूर्य सिर के ऊपर आ गया तब उसने अपने दायें मोर्चे को तोप दागने का आदेश
दिया और जो दल कंपनी की फ़ौज के पीछे अभी तक ख़ामोशी से खड़ा था उसको आगे बढ़ कर आक्रमण
करने का इशारा हुआ। कंपनी की फ़ौज बीच में फंस गई। उसके कई अधिकारी इस लड़ाई में मारे
गए। फौसेट किसी तरह जान बचा कर कोंच वापस लौटा मगर उसको वहाँ भी चैन नही मिला। अगले
दिन मीर खां ने कोंच पर आक्रमण कर दिया। कंपनी की फ़ौज यहाँ पर भी अमीर खां का मुकाबला
नही कर सकी। उसके कई अधिकारी कोंच के युद्ध में मारे गए। उनके नाम अभी भी कोंच के कब्रिस्तान
में ऊनकी कब्र पर पढ़े जा सकते है। अब कंपनी की फ़ौज कोंच से भागी और कालपी पहुंची। फौसेट
बुरी तरह से हार चुका था। कंपनी सरकार ने उसकी क्या लानत मलानत की यह लिखने की जरूरत
नही है यह समझ लीजिए कि फ़ौज में उनका रिकार्ड खराब हो गया। कोंच में अंग्रेजों की करारी
हार हुई थी। लेकिन अगले दो वर्षों में ही कोंच पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। यह कैसे
हुआ यह भी जान लीजिए।
ईस्ट
इण्डिया कंपनी कोंच की इस हार को बर्दास्त नही कर पा रही थी। अब उसने अपने सबसे बड़े
फौजी, कमांडर-इन-चीफ लार्ड लेक को होल्कर को दबाने का
भार दिया। पहली लड़ाई में होल्कर ने रामपुरा (राजस्थान) के पास सेनापति मोंनसन को हरा
दिया। लार्ड लेक अब खुद युद्धभूमि में आया और होल्कर का पीछा किया। इतनी बड़ी फ़ौज का
मुकाबला करना होल्कर के बस का नहीं था अत: वह पंजाब की तरफ भागा। लेक होल्कर के पीछे
लगा रहा। होल्कर को कहीं से भी मदद नही मिल रही थी। भागते भागते वह व्यास नदी के किनारे
तक पहुंच गया। आगे कोई रास्ता न देख उसने हार मान ली और संधि करने को मजबूर हो गया।
24 दिसम्बर 1805 को व्यास नदी के तट पर
हुई इस संधि पर लार्ड लेक के प्रतिनिध लेफ्टिनेंट कर्नल जान मेलकम और होल्कर के प्रतिनिधि
शेख हबीब उल्लाह और बालाराम सैत ने हस्ताक्षर किए। इस संधि का अपने जिले पर बड़ा व्यापक
प्रभाव पड़ा। जिले का सबसे सरसब्ज इलाका कोंच ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकार में आ गया।
कंपनी सरकार यदि चाहती तो होल्कर से इंदौर भी ले सकती थी मगर न लेकर कोंच लिया इसका
कारण यदि अभी न समझ में आया हो तो मै साफ़ किये देता हूँ। कोंच में कपास बहुत ज्यादा
पैदा ही नही होती थी बल्कि उसकी गुणवत्ता भारत में सबसे अच्छी भी मानी जाती थी इसी
कारण ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोंच को लिया। इस तरह कोंच के 93 गाँव
अंग्रेजो को मिले। अब आप समझ गए होंगे कि कालपी के साथ ही कोंच भी अंग्रेजों के पास
आगया। चूँकि चर्चा इतिहास के विषय की है अत: यदि संधि की चर्चा न हो तो बात पूरी न
होगी।
इस
संधि में एक प्रावधान यह भी था कि यदि दो वर्ष तक होल्कर का व्यवहार और आचरण कंपनी
के प्रति ठीक रहता है तो कोंच की आमदनी गुजारे के तौर होल्कर की बहिन भीमा बाई को दी
जाती रहेगी मगर शासन कंपनी सरकार का ही रहेगा। अंग्रेजो ने जैसे कालपी को अपने बुंदेलखंड
जिले में शामिल किया था उसी प्रकार कोंच भी शामिल कर दिया। यहाँ का शासन भी बाँदा से
होने लगा जो जो बुंदेलखंड जिले का हेडक्वार्टर था। वसूली और शासन प्रबंध में जो खर्चा
आता वह काट कर बाकी रकम भीमा बाई को मिलने लगी। कंपनी सरकार और हिलकर के मध्य हुई संधि
में 9 धाराएं थी इसमें से चौथी धारा का असर जालौन जिले
पर मुख्य रूप से पड़ा था अत: इस संधि का सार संक्षेप ही प्रस्तुत कर रहा हूँ।
Treaty
with Jeswunt Rao Holkar with declaratory Article annexed-1805. Treaty
of peace and Amity between the British Government and Jeswunt Rao Holkar.
Whereas
disagreement has arisen between the British Government and Jeswunt Rao Holkar,
and it is now the desire of both parties to restore mutual harmony and concord,
the following Articles of Agreement are therefore concluded between
Lieutenant-Colonel John Malcolm on the part of the Honourable Company, and
Sheikh hubeeb Oolla and Balla Ram Seit on the part of Jeswunt Rao Holkar , the
said Lieutenant-Colonel john Malcolm having especial authority for the purpose
from the Right Honourable Lord Lake, commander-in-Chief,&c,&c, his Lord
aforesaid being invested with full powers and authority from the Honourable Sir
George Hilaro Barlow, Governor-General,&c,&c, and the said Sheikh
Hubeeb Oolla and Balla Ram Seit also duly invested with full powers on part of
of Jeswunt Rao Holkar.
Article
4.
Jeswunt
Rao Holkar hereby renounces all claims to the district of Koonch in the
province of Bundelcund and all claims of every description in that province;
but in the event of the conduct of Jeswunt Rao Holkar being such as to satisfy
the British Government of his amicable intentions towards the State and its
allies, the Honourable Company agrees at the expiration of two years from the
date of this treaty to give the district of Koonch in Jahgire to Beema Bai, the
daughter of Jeswunt Rao Holkar, to be holden under the Company’s Government on
the same terms as that now enjoyed by Balla Bai.
Article
5.
Jeswunt
Rao Holkar hereby renounces all claims of every description upon the British
Government and its allies.
Article
9.
This
treaty, consisting of nine Articles being this day settled by Lieutenant-Colonel
John Malcolm on the part of the Honourable Company and Sheik Hubeeb Oolla and
Balla Ram Seit on the part of Jeswunt Rao Holkar, Lieutenant- Colonel John
Malcolm has delivered one copy thereof, in Persian and English, signed and
sealed by himself, and confirmed by the seal and signature of the Right
Honourable Lord Lake, to the said Sheik Hubeeb Oolla and Balla Ram Seit, who,
on their part, have delivered to Lieutenant-Colonel John Malcolm a counterpart
of the same, signed and sealed by themselves, and engage to deliver another
copy thereof, duly ratified by Jeswunt Rao Holkar, to the Right Honourable Lord
Lake, in the space of three days, the said Lieutenant-Colonel John Malcolm also
engaging to deliver to them a counterpart of the same, duly ratified by the
Honourable the Governor-General in council, within the space of one month from
this date.
Done
in camp, at Rajpoor Ghaut, on the Banks of the Beas river, this 24th
day of December, A.D.1805, corresponding with 2nd of Shawul, in the year of the Hegira, 1220.
(Sd)
John Malcolm.
Sheik
Hubeeb Oolla.
Balla
Ram Seit
अब
यहाँ पर दो शासन व्यवस्था चलने लगी। जालौन में नाना गोविंदराव की और कालपी तथा कोंच
ने अंग्रेजी सरकार की। अंग्रेजों ने अपने जीते हुए भाग में किस प्रकार की शासन व्यवस्था
लागू की उसकी चर्चा अब अगली पोस्ट में। धन्यवाद
+++++++++++++
© देवेन्द्र सिंह (लेखक)
++
कॉपीराईट चेतावनी - बिना देवेन्द्र सिंह जी की अनुमति के किसी भी लेख का आंशिक अथवा पुर्णतः प्रकाशन कॉपीराइट का उल्लंघन माना जायेगा. ऐसा करने वाले के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जा सकती है. जिसके लिए वह व्यक्ति स्वयं जिम्मेवार होगा.
No comments:
Post a Comment